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हाहाकार !!!: July 2013
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हाहाकार! प्रदीप यादव की स्वरचित रचनाएँ. Tuesday, 9 July 2013. शुभ कामनाएं. Yunhi bekhabar saa chlaa jaa rahaa tha. Tumse mila toh Sazdaa karne ko ji chaha,. Doston ne bharam rakh liyaa jine kaa ,. Zindgee tum se bezaar huaa jaa rahaa tha . दिवस की शुभ कामनाएं मित्रों . यूँ ही बेखबर सा चला जा रहा था ,. तुमसे मिलके सजदा करने जी चाहा ,. दोस्तों ने भरम रख लिया जीने का,. वर्ना जिंदगी से बेज़ार हुआ जा रहा था।. प्रदीप यादव. प्रदीप यादव. Yaadon ka Haraapan zindagi mai banaye rakhna ,. दरख्वास्त. Hanskar Mujh se ,.
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हाहाकार !!!: रचना शीर्षक : 1. मेले का बाँसुरीवाला ( श्रेणी ; लघुकथा ) हँस कथा कार्य शाला
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हाहाकार! प्रदीप यादव की स्वरचित रचनाएँ. Monday, 15 September 2014. रचना शीर्षक : 1. मेले का बाँसुरीवाला ( श्रेणी ; लघुकथा ) हँस कथा कार्य शाला. रचना शीर्षक : 1. मेले का बाँसुरीवाला. श्रेणी ; लघुकथा ). प्रकाशनार्थ : हँस कथा कार्य शाला. C oअक्षर प्रकाशन प्रा.लि ,. 2 36 अंसारी रोड, दरियागंज ,. नई दिल्ली - 110002. ईमेल: editorhans@gmail.com. प्रदीप यादव ,. जी 4 कंचन अपार्टमेंट. 133 अनूप नगर ;. एमआईजी. चौराहा. AB रोड ,ईंदौर. ईमेल: pradeep4133@yahoo.com. By - प्रदीप यादव. आग्रह किया। ब&...एक बांस&#...कहा...
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बेचैनी : October 2010
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बेचैनी. मुखपृष्ठ. खुद का स्केच. शुक्रवार, 15 अक्तूबर 2010. देवियों और सज्जनों,. जो जन इस पैराग्राफ को नहीं पढना चाहते, वे अंतिम वाला पढ़ें.). ये दुकान यहाँ से उठकर नए नाम से आगे चली गयी है, नया नाम है "chakreshsurya.blogspot.com". प्रस्तुतकर्ता. 1 टिप्पणी:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). पुराने लेकिन मेरे. आप भी बर्दाश्त करें. सभी टिप्पणियां.
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हाहाकार !!!: August 2013
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हाहाकार! प्रदीप यादव की स्वरचित रचनाएँ. Saturday, 31 August 2013. सर्जना तु, हों लाख कई वर्जना ,. ना बन मत-विभाजन की अनुषंगिनी ,. संवेदना बन ना कर अतिरंजना,. लेखनी तू यज्ञोपवित हैं ज्ञान का,. उपासन हैं कमलासना माँ शारदे का,. रह तटस्थ हैं आधार स्व-प्रतिकृति का । प्रदीप यादव. Sarjanaa tu, hon laakh kai varjana,. Naa ban Mat-vibhajna ki anushagini ,. Tu samvedana bakar naa kar atiranjna,. Lekhni tu YAGYOPAVIT hai gyan ka ,. Upaasan hai MAAN SHARDE KA ,. Rah Tatasth hi aadhaar Sva-pratikruti ka. संकल&#...
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हाहाकार !!!: November 2013
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हाहाकार! प्रदीप यादव की स्वरचित रचनाएँ. Tuesday, 26 November 2013. शोले की तड़प. शोले की तड़प. अंदाज़ों को परखा है हमने :. थोड़ा कम सही ; पर. ये ज़माना देखा है हमने . बढ़ने की हद क्या होती है . ज़रा किसी दिन चिंगारी से सुन! प्रदीप यादव. Monday, 25 November 2013. जीए तू सदा. हे पुरुष वामांगी नमन ,. सखी सजनी सरस प्रिया ,. जीवन साकार सफल किया. पिया पल पल अनुरागी. फूलते बचपन का वरदान ,. संकट मोचक बनी बडभागी. सुमुधुर ध्वनित सरगम बोली,. लग्नोपरांत पति संग डोली ;. वामांगी ये. प्रसन्न भगवन घर आँगन,. ने लगी. Aastik,kinc...
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हाहाकार !!!: February 2014
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हाहाकार! प्रदीप यादव की स्वरचित रचनाएँ. Thursday, 13 February 2014. अहले दुनिया' भी समझी है सुर्खि ए गुलशन' ।. दौर अमले मोहोब्बतसाज़ी' के अभी जारी रहें ॥. Ahale Duniya bhi samjhi hai Surkhi E Gulshan ;. Daur Amale Mohobbatsazi ke abhi Jaree rahein . मरीज़ ऐ ईश्कबाज़ी तोह मसरूफ' यूँ ही रहें ।. क़ातिबे तक़दीर' को इस्तिक़बाल'. किया करें ॥. Mareez e Ishqbazi toh Masroof yun hi raheinge ;. Qatib E Taqdeer ko Istiqbal. प्रेम प्रकटन का कार्य , इशारा ए उल्फ़त. स्वागत ,Welcome. Subscribe to: Posts (Atom).
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हाहाकार !!!: January 2014
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हाहाकार! प्रदीप यादव की स्वरचित रचनाएँ. Tuesday, 21 January 2014. आह लिखता हूँ तोह वाह कहती हैं ,. जिंदगी भी लफ्जों को यूँ रंगती है. प्रदीप यादव. जब भी मिला हालात पूछती है दुनिया ,. किस्सा बर्बादी का यूँ छुपाती है दुनिया. By प्रदीप यादव. मैं दूर खडा जमीं से चाँद तारे देखता रहा ,. वोह उठा गरज कर फलक पर छा गया. प्रदीप यादव. फ़ौरन से पेश्तर लपकती है दुनिया मिले मौकों को ,. मौक़ापरस्त मैं भी नहीं दुआ में बस असर न रहा. प्रदीप यादव. प्रदीप यादव. Pani hi toh sirf Pi rahaa thaa woh maykhaane mein baith kar,. Aasti...
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हाहाकार !!!: December 2015
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हाहाकार! प्रदीप यादव की स्वरचित रचनाएँ. Wednesday, 2 December 2015. नाराज दोस्त. नाराज दोस्त. नाराज़ था. दौड़ पड़ा. मेरी ओर. मैं मुट्ठियाँ. भींचता. उससे पहले. पटक दिया. क्यूँ. बात है. मैं थोड़ा. क्या करता. है यार. गाना सुनते. हुए भी कोई. रोड क्रॉस. करता है. मेरे चारों. और बिखरे. वोह मुझसे. लिपट के. ढाँढस दे. चलता बना. पास खड़े. लोग मुझे. लानतें. भेज रहे थे. सुनते-सुनते. उस कारवाले. की धुनाई ही. करवा देता. भले आदमी. ने इसके साथ. कारवाले को. भी बचा लिया. ये मिठाई. फूल लिए. मैं,. डोरबेल बजा. दौड़ पड़ा.
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हाहाकार !!!: June 2013
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हाहाकार! प्रदीप यादव की स्वरचित रचनाएँ. Saturday, 29 June 2013. कलाम ए अक्सरियात. कलाम ए अक्सरियात. मिलते हैं जब भी कभी जमाने में,. मेरे महबूब दूरी सी बनाए रहते हैं. निगाहों में छुपाने की बातें कर के ,. वोह जाने कहाँ नज़रें चुराए बैठे हैं ।. आज फिर आग से आग बुझाने के,. अरमान दिल में हिलोरें लेते हैं।. मिलता नहीं दिल को सूकून कहीं ,. मस्त निगाही के पियाले जो पिए बैठे हैं।. ए इश्क ज़रा सबर तोह कर,. सुन दीवाने दिल की ताकीद भी,. यूँ हसरतों में सही चाहत के. प्रदीप यादव. फितरत ए दीवानगी. मनाना,. क्यí...
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