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*काव्य-कल्पना*: January 2011
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काव्य-कल्पना*. मै कवि कहलाने का अधिकारी हूँ या नहीं, मुझे नहीं पता. पर कविता खुद ही छलक जाती है, तो क्या करूँ. साहित्य प्रेमी संघ. गद्य सर्जना. प्रेम रस. भक्ति रस. अध्यात्म रस. सम्पर्क सूत्र. काव्य-कल्पना*. Sunday, January 30, 2011. इंजीनियर की दीवानी. गली,मोहल्ले,गाँव शहर में,. रात दिन,सुबह शाम,भरी दोपहर में।. चिंता से पीड़ीत,कुंठा से कुंठित,. बेटी की शादी की बात है सोचती,. एक माँ मन ही मन बड़ा कचोटती।. कोई भला सा कामकाजी लड़का मिले,. शुरु हो उसकी भी इक नई कहानी,. दामाद इंजीन...कहता मा&#...मेर...
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*काव्य-कल्पना*: March 2011
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काव्य-कल्पना*. मै कवि कहलाने का अधिकारी हूँ या नहीं, मुझे नहीं पता. पर कविता खुद ही छलक जाती है, तो क्या करूँ. साहित्य प्रेमी संघ. गद्य सर्जना. प्रेम रस. भक्ति रस. अध्यात्म रस. सम्पर्क सूत्र. काव्य-कल्पना*. Tuesday, March 29, 2011. अदृश्य तुम मेरे सदृश. अदृश्य तुम मेरे सदृश,. अंतर-नैनों से दिखती जो छवि,. स्वर्ग के द्वार का कोई दृश्य,. समक्ष मेरे तुम हर क्षण,हर पल,. रहते हो क्यों ऐसे अदृश्य? कई बार हुआ एहसास मुझे,. तुम रहते मेरे पास सदा,. आवाज दिया अपने मन में,. Posted by Er. सत्यम शिवम. Links to this post.
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*काव्य-कल्पना*: इंजीनियर्स की परेशानी
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काव्य-कल्पना*. मै कवि कहलाने का अधिकारी हूँ या नहीं, मुझे नहीं पता. पर कविता खुद ही छलक जाती है, तो क्या करूँ. साहित्य प्रेमी संघ. गद्य सर्जना. प्रेम रस. भक्ति रस. अध्यात्म रस. सम्पर्क सूत्र. काव्य-कल्पना*. Tuesday, February 22, 2011. इंजीनियर्स की परेशानी. इंजीनियर्स की परेशानी". कहता हूँ मै इक ऐसी कहानी. इंजीनियर्स की परेशानी,. इक इंजीनियर की जुबानी।. कहने को तो कुछ दिन में अब,. मै भी इंजीनियर कहलाऊँगा,. टेक्नोलाजी और साफटवेयरस के ही,. गीत सबको सुनाऊँगा,. कालेज जाने से त&#...सोचता खुद...इस सेम...
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*काव्य-कल्पना*: April 2012
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काव्य-कल्पना*. मै कवि कहलाने का अधिकारी हूँ या नहीं, मुझे नहीं पता. पर कविता खुद ही छलक जाती है, तो क्या करूँ. साहित्य प्रेमी संघ. गद्य सर्जना. प्रेम रस. भक्ति रस. अध्यात्म रस. सम्पर्क सूत्र. काव्य-कल्पना*. Sunday, April 22, 2012. काव्य संग्रह "मेरे बाद" का लोकार्पण समारोह. मंच को संचालित करते प्रो. अरुण कुमार जी). विमोचन करते सदर एस.डी.ओ और वरिष्ठ साहित्यकारगण). दैनिक हिन्दूस्तान में कार्यक्रम की जानकारी). Http:/ in.jagran.yahoo.com/news/local/bihar/4 4 9144777 1.html. पुस्तक विवरण. रंजू भ&#...सरस दरब&#...
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*काव्य-कल्पना*: July 2011
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काव्य-कल्पना*. मै कवि कहलाने का अधिकारी हूँ या नहीं, मुझे नहीं पता. पर कविता खुद ही छलक जाती है, तो क्या करूँ. साहित्य प्रेमी संघ. गद्य सर्जना. प्रेम रस. भक्ति रस. अध्यात्म रस. सम्पर्क सूत्र. काव्य-कल्पना*. Friday, July 29, 2011. ब्याह की बात. भाभी ने की जो माँ से,. है आज मेरे ब्याह की बात।. मन में मेरे लड्डू सा फूटा।. इक कुँवारे जवान दिल आशिक से,. वर्षो से उसका खुदा जैसे था रुठा।. तन्हाईयाँ डसने लगी थी,. नैनों में मेरे बसने लगी थी।. रोता था रातों को छुपकर,. आज कोई सौगात।. अपनी बारात म&...कोई ग...
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*काव्य-कल्पना*: February 2011
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काव्य-कल्पना*. मै कवि कहलाने का अधिकारी हूँ या नहीं, मुझे नहीं पता. पर कविता खुद ही छलक जाती है, तो क्या करूँ. साहित्य प्रेमी संघ. गद्य सर्जना. प्रेम रस. भक्ति रस. अध्यात्म रस. सम्पर्क सूत्र. काव्य-कल्पना*. Sunday, February 27, 2011. मैने तुमसे प्यार किया था. मैने तुमसे प्यार किया था,. तुमने क्यों प्रतिकार किया था? प्रकृति के रस-रंग मनोहर,. लाया था चुन-चुन कर प्रतिपल,. प्यार की सीमा,भाव का सागर,. हमदोनों ने पार किया था।. मैने तुमसे प्यार किया था।. निर्झर सा बहता मै कल-कल,. प्यार के श...मैने...
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*काव्य-कल्पना*: April 2011
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काव्य-कल्पना*. मै कवि कहलाने का अधिकारी हूँ या नहीं, मुझे नहीं पता. पर कविता खुद ही छलक जाती है, तो क्या करूँ. साहित्य प्रेमी संघ. गद्य सर्जना. प्रेम रस. भक्ति रस. अध्यात्म रस. सम्पर्क सूत्र. काव्य-कल्पना*. Thursday, April 28, 2011. प्रतीक्षा के पल तुम्हारे. प्रतीक्षा के पल तुम्हारे प्रिय,. इतने प्यारे होंगे क्या पता था।. मधुरस साथ तुम्हारा है प्रिय,. हर क्षण, प्रतिपल ह्रदय में घुल कर,. संगीतबद्ध हुआ आत्मा का कण कण,. तेरी सुरीली प्रणय राग सुनकर।. सदियों ने बुझाया...मिलन निशा की हर...प्रतीक...विर...
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*काव्य-कल्पना*: December 2011
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काव्य-कल्पना*. मै कवि कहलाने का अधिकारी हूँ या नहीं, मुझे नहीं पता. पर कविता खुद ही छलक जाती है, तो क्या करूँ. साहित्य प्रेमी संघ. गद्य सर्जना. प्रेम रस. भक्ति रस. अध्यात्म रस. सम्पर्क सूत्र. काव्य-कल्पना*. Tuesday, December 27, 2011. दर्द की नायिका. तुम दर्द की नायिका,. और मै नायक उस अभिनय का,. जहाँ बस दर्द के ही रास्ते पे,. चलता रहा हूँ मै।. छुपा लिया है मैने,. दर्द की इक पुरानी,. नदी दिल में कही।. जो कभी कभी बूंदे बनकर,. कभी हर मंजर दिखा देती है,. सामने उस रात को,. उम्र भर का है,. कभी फिर ...फिर...
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*काव्य-कल्पना*: May 2012
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काव्य-कल्पना*. मै कवि कहलाने का अधिकारी हूँ या नहीं, मुझे नहीं पता. पर कविता खुद ही छलक जाती है, तो क्या करूँ. साहित्य प्रेमी संघ. गद्य सर्जना. प्रेम रस. भक्ति रस. अध्यात्म रस. सम्पर्क सूत्र. काव्य-कल्पना*. Monday, May 21, 2012. एहसास तुम्हारे होने का. तुम चली गयी,. पर गया नहीं,. एहसास तुम्हारे होने का।. दिल के खाली उस कोने का,. वो दर्द तुम्हारे खोने का।. गुमशुम हूँ,चुप हूँ,खोया हूँ,. एकाकीपन में रोया हूँ,. कभी शाम ढ़ले फिर आओगी,. अब बीत गयी है रात,. नहीं तुम पास,. तुम चली गयी,. कुछ ठहर गये,. आप मु...
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